पोस्टपार्टम डिप्रेशन का प्राकृतिक इलाज :

करीब 15 प्रतिशत महिलाओं को पोस्ट पार्टम डिप्रेशन की शिकायत होती है। बच्चे के जन्म के तुरंत बाद माता को होने वाले डिप्रेशन को पोस्टपार्टम डिप्रेशन कहते हैं। इसे बोलचाल की भाषा में पीपीडी भी कहा जाता है।  प्रसव के तुरंत बाद माता में होने वाले हार्मोनल परिवर्तन, बच्चे की देखभाल करने का तनाव और एक घर में किसी सपोर्ट सिस्टम की कमी इस स्थिति के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं। मंच तैयार कर सकती है।

नियमित व्यायाम करें


प्रसव के बाद पहले छह से आठ सप्ताह के दौरान, आपको आराम करना चाहिए और अपना और अपने नवजात बच्चे की देखभाल करनी चाहिए। एक बार आपके डाक्टर की अनुमति मिल जाय नियमित व्यायाम को अपनी दिनचर्या बना लीजिए। इससे आपको पीपीडी से बचने या पूरी तरह निजात मिलने में मदद मिलेगी। अब आप शायद पूछे कि 'नई मां व्यायाम करने के लिए समय कैसे निकाले?' इसके लिए आपको इनोवेटिव होना पडेगा। सबसे आसान तरीका है कि आप अपने बच्चे के स्ट्रॉलर को उठाएं और वाक पर निकल जाएं। किसी क्लास को ज्वाइन करने की जगह आप आनलाइन क्लास ज्वाइन करें। अपने बच्चे के साथ आप डांस कर सकती हैं। बच्चे के सोने के पैटर्न पता करते ही आप अपने व्यायाम को सर्वोच्च प्राथमिकता दें

लाइट थेरैपी
लाइट थेरैपी यानी प्रकाश चिकित्सा में प्रतिदिन 10 से 20 मिनट के लिए लाइट की लगभग 10,000 लक्स यूनिट तक उज्ज्वल प्रकाश से रोगी को संपर्क कराया जाता है। माना जाता है कि लाइट थेरेपी मूड, नींद, सर्कैडियन रिदम और मानसिक गतिविधि को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। पीपीडी पर इसका सकारात्मक प्रभाव देखा गया है।

एक्यूपंचर
एक्यूपंचर तकनीक तनाव को प्रेरित कोर्टिसोल रिलीज को कम कर सकती है। ऐसा करके पीड़ित के मूड में सुधार हो सकता है।यही कारण है कि एक्सूपंचर को पीपीडी और सामान्य डिप्रेशन में भी उपयोगी माना जाता है।


मनोविशेषज्ञ की सलाह लें


एंटी डिप्रेसेंट की जगह मनोचिकित्सक हर तरह से बेहतर है। आपको अगर लगता है कि आप पीपीडी की शिकार हो रही हैं तो आप मनोचिकित्सक की सलाह ले सकती हैं। मनोचिकित्सक कई तरह के विश्लेषण कर आपकी सहायता कर सकते हैं। आपको टाक थेरैपी दे सकते हैं।


 

 

 

 

 

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