अच्छा स्वास्थ्य शारीरिक रूप से स्वस्थ शरीर भर नहीं, उससे कुछ ज्यादा होता है ; एक स्वस्थ व्यक्ति का दिमाग भी स्वस्थ होना चाहिए । एक स्वस्थ दिमाग वाले व्यक्ति में स्पष्ट सोचने और जीवन में सामने आने वाली समस्याओं, का समाधान करने की क्षमता होनी चाहिए । मित्रों, कार्यस्थली पर सहकर्मियों और परिवार के साथ उसके संबंध अच्छे होने चाहिए । उसे आत्मिक रूप से शांत और सहज महसूस करना चाहिए और समुदाय के दूसरे लोगों को खुशी देनी चाहिए । स्वास्थ्य के इन पहलुओं को मानसिक स्वास्थ्य माना जा सकता है ।
हम भले ही शरीर और दिमाग के बारे में इस लहजे में बात करते हों जैसे वे दो अलग चीजों हो, लेकिन हकीकत में वे एक ही सिक्के के दो पहलुओं के समान हैं । दोनों में बहुत कुछ की साझेदारी है, पर हमारे आसपास के संसार को वे अलग दिखते हैं । अगर दोनों में से किसी एक पर कोई असर पड़ता है, तो इससे दूसरा भी लगभग निश्चित रूप से प्रभावित होगा । अगर हम शरीर और दिमाग को अलग कर सोचते हैं, तो इसका यह अर्थ नहीं है कि वे एक-दसूरे से स्वतंत्र हैं ।
ठीक जैसे हमारा शरीर बीमार पड़ सकता है, उसी तरह दिमाग ही रोगी हो सकता है । इस स्थिति को मनोरोग कहा जाता है । “किसी व्यक्ति द्वारा अनुभव की जाने वाली कोई भी बीमारी जो उसी भावनाओं, विचारों और व्यवहार को इस तरह प्रभावित करती है कि वे उसकी सांस्कृति मान्यताओं तथा व्यक्तित्व से मेल न खाएं और उस व्यक्ति तथा उसके परिवार की जिंदगी पर नकारात्मक असर डालें” , तो वह बीमारी मनोरोग कहलाएगी ।
दो महत्वपूर्ण बिंदु हैं जो इस मार्गदर्शिका की सामग्री का आधार निर्मित करते हैं :
• मानसिक रोगों के कारणों और उनके उपचार की हमारी समझ में बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हुई है । ज्यादातर उपचार सामान्य या सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्त्ता के द्वारा प्रभावी रूप से किए जा सकते हैं ।
• मनोरोग के दायरे में बहुत तरह की स्वास्थ्य समस्याएं आती हैं । ज्यादातर लोग मनोरोग को हिंसा, उत्तेजना और असहज यौनवृत्ति जैसे गंभीर व्यवहार संबंधी विचलनों से जुडी बीमारी मानते हैं । ऐसे विचलन अक्सर गंभीर मानसिक अस्वस्थताओं का परिणाम होते हैं । लेकिन, मनोरोग से पीड़ित ज्यादातर लोग दूसरे सामान्य लोगों जैसा ही व्यवहार करते हैं और वैसे ही दिखते हैं । इन आम मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं में अवसाद, चिंता, यौन समस्याएं तथा व्यसनों की लग शामिल हैं ।
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