अवसाद का मुख्य विशेषताएं

अवसाद से पीड़ित व्यक्ति के निम्न में से कुछ लक्षणों का अनुभव होगा :

शारीरिक

•          थकान और चूर-चूर होने व कमजोरी का अहसास

•          पुरे शरीर में अजीब से दर्द व पीड़ा

भावनात्मक

•          उदास और दुखी महसूस करना

•          जीवन सामाजिक संबंधों और काम इत्यादि में दिलचस्पी का खत्म होना

•          अपराध बोध की भावनाएं

सोच संबंधी

•          भविष्य को लेकर निराशा

•          फैसले लेने में मुश्किलें

•          यह सोच कि वह बाकि लोगों से कमतर है (आत्म सम्मान की कमी)

•          यह सोच कि उसका जीवित न रहना ही बेहतर होगा

•          आत्महत्या के खयाल और योजनाएं

•          दिमाग को एकाग्र करने में कठिनाई

व्यवहार संबंधी

•          नींद की परेशानी ( आम तौर पर कम नींद आना, पर कभी-कभी बहुत नीदं आना)

•          भूख कम लगना (कभी-कभी ज्यादा लगना)

•          कामेच्छा में कमी आना

केस 3

30 साल की उम्र में रवि के साथ एक गंभीर दुर्घटना हुई । वह मोटर साइकिल पर था और उसके पीछे की सीट पर उसका करीबी दोस्त सवार था । बाइको को पीछे से धक्का मारा और रवि और उसका दोषत बाइक से निचे गिर गए । रवि ये देख कर भौंचक रह गया कि उसका दोस्त बस के पहियों के नीचे जा  गिरा और कुचला गया और फ़ौरन ही मर गया । कुछ दिनों की गहरी उदासी और सदमे के बाद रवि को डर के दौरे पड़ने लगे । इनकी शुरुआत तबसे हुई जब वह बाजार में खरीदारी कर रहा था । उसे अचानक लगा कि उसका दम घुट रहा है और दिले तेजी से धड़क रहा है । उसके पिता को दिल की शिकायत थी और उसे चिंता हो गई कि उसे भी दिल की बीमारी है । वह बहुत डर गया । डाक्टरों ने उसे जांचों के लिए भेजा और उनसे पता लगा कि उसक दिल स्वस्थ हालत में है । रवि को रातों को बुरे सपने भी आने लगे जिनमें वह फिर से उस दुर्घटना के होते हुए देखता । यहाँ तक की कभी-कभी जागते हुए भी उसे पूरी दुर्घटना दिखलाई देने लगी । तब वह डर जाता और तनाव में आ जाता । उसकी नींद खराब होनी शुरू हो गई और जल्दी ही उनके मन में आत्महत्या के भाव आने लगे ।

समस्या क्या है ? रवि चिंताग्रस्तता के रोग से पीड़ित था और यह किसी भी ऐसे व्यक्ति को हो सकता है जो शारीरिक या भावनात्मक चोट/ आघात का शिकार हुआ हो । इसे कभी-कभी ‘पोस्ट-ट्रौमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर या चोट के बाद पैदा तनाव से हुई अस्वस्थता कहा जाता है ।

आम मानसिक अस्वस्थताओं में दो तरह की भावनात्मक समस्याएं आती है : अवसाद तथा चिंताग्रस्त । अवसाद का मतलब है मन का डूबी-डूबी, उदास, उकताई हुई या दुखी हालत में रहना । यह एक ऐसा अहसास है जिससे जिंदगी में हर आदमी कभी-न-कभी गुजरता है । कुछ हद तक इस भावना को ‘सामान्य’ कहा जा सकता है । पर कभी-कभी ऐसे दौर आते हैं जब अवसाद जिंदगी में दखल देने लगता है । तब यह एक समस्या बन जाता है । उदहारण के लिए, हर आदमी ऐसे दौरों से गुजरता है, जब वह उदास महसूस करता है, पर ज्यादातर लोग इसके बावजूद अपनी जिंदगी चलाए रखते हैं और यह दौर गुजर जाता है । पर कभी-कभी अवसाद ज्यादा लम्बे समय तक चलता है, एक महीने से भी ज्यादा । इसमें थकान और दिमाग को एकाग्र न कर पाने जैसे असमर्थ बना देने वाले लक्षण पैदा हो जाते हैं । यह अहसास रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करने लगता है और इसके कारम काम करना या घर में छोटे बच्चों की देखभाल करना मुश्किल हो जाता है । अगर अवसाद जिंदगी के राते में आने लगे और लम्बे समय तक चले, तो हम मान सकते हैं कि वह व्यक्ति किसी रोग में पीड़ित है । अवसाद की मुख्या विशेषताएं बाक्स 1.1 में दर्शाई गई है । चिंताग्रस्त डरा हुआ तथा घबराया हुआ होने की भावना है । अवसाद की तरह ही कुछ स्थितियों में यह एक सामान्य बात है । उदहारण के लिए, मंच पर जाने से पहले एक अभिनेता तथा परीक्षा से पहले एक विधार्थी चिंतित तथा तनावग्रस्त महसूस करते हैं । कुछ लोग हमेशा ही चिंताग्रस्त जान पड़ते हैं, पर इसके बावजूद वे अपनी जिंदगी का कामकाज जारी रख पाते हैं । अवसाद की तरह ही चिंताग्रस्त महसूस करते हैं । कुछ लोग हमेशा ही चिंताग्रस्त जान पड़ते हैं, पर इसके बावजूद वे अपनी जिंदगी का कामकाज जारी रख पाते हैं । अवसाद की तरह चिंताग्रस्त उस स्थिति में एक रोग बन जाती है जब यह लम्बे समय तक बनी रहे (आम तौर पर दो सप्ताह से ज्यादा) और व्यक्ति की जिंदगी में दखल देने लगे या गंभीर किस्म के लक्षण पैदा कर दे । चिंताग्रस्त की मुख्या विशेषताएं बाक्स 1.2 में दिखलाई गई हैं ।

आम मानसिक अव्स्थताओं से पीड़ित ज्यादातर व्यतियों में अवसाद और चिंताग्रस्त, दोनों के ही लक्षण दिखाई पड़ते हैं । ज्यादातर भावनात्मक या सोच संबंधी लक्षणों की शिकायत नहीं करते, बल्कि उन्हें शारीरिक व व्यवहार संबंधी लक्षणों का अनुभव होता है (जैसा केस 1.2 में) । ऐसा काई कारणों से हो सकता है । उदहारण के लिए, उन्हें लग सकता है कि अगर उनहोंने मनोवैज्ञानिक लक्षण बताए, तो उन पर ‘मेंटल’ केस होने का बिल्ला लग जाएगा ।

आम मानसिक अस्वस्थताओं की तीन किस्में विशष्ट या असाधारण शिकायतों के साथ सामने आ सकती हैं :

• जब चिंताग्रस्त के भीषण दौर पड़ते हैं, तो उसे संत्रास या ‘पेनिक’ कहा जाता है । ये आम तौर पर केवल कुछ ही मिनट के लिए पड़ते हैं । आम तौर पर संत्रास के दौरे कुछ अचानक शुरू होते हैं । इनमें चिंताग्रस्त के गंभीर शारीरिक लक्षण प्रकट होते हैं और इनसे पीड़ित व्यक्ति को बहुत भय लगता है कि उसके साथ कुछ भयानक होने जा रहा है या वह मरने जा रहा है । संत्रास के दौरे इसलिए पड़ते हैं कि डरे हुए लोग सामान्य के मुकाबले ज्यादा तेजी से सांस लेते हैं । इसके कारण उनके रक्त में रासायनिक बदलाव होते हैं और इन्हीं की वजह से ये लक्षण प्रकट होते हैं ।

• भय या फोबिया तब होता है, जब कोई व्यक्ति किसी खास स्थिति में भयभीत महसूस करता है ( और उस स्थिति में उसे अक्सर फोबिया का दौरा पड़ता है ) । ऐसी आम स्थित्तियों में बाजार और बसों जैसी भीड़ भरी जगहें ( जैसा कि केस 1.3 के मामले में है) , छोटे कमरों या लिफ्ट जैसी छोटी जगहें और लोगों से मिलने जैसी सामाजिक स्थितियां शामिल हैं । फोबियाग्रस्त व्यक्ति अक्सर उस खास स्थिति से बचना शुरू कर देता है । इसके कारण गंभीर मामलों में व्यक्ति घर से बाहर निकलना बिल्कुल बंद कर सकता है ।

• मनोग्रस्ति – मनोबध्यता  (ओब्सेसिव-कम्पल्सिव) की अस्वस्थताएं ऐसी स्थितियां हैं जिनमें किसी व्यक्ति के दिमाग में बार-बार वही-वही खयाल आते हैं (मनोग्रस्ति) या व्यक्ति बार-बार वही काम करता है (मनोबाध्यता), जबकि वह व्यक्ति जानता है कि ऐसा सोचना या करना अनावश्यक या मूर्खतापूर्ण है । मनोग्रास्तियाँ और मनोबाध्यताएं इतनी ज्यादा बार घटित होने लगती हैं कि व्यक्ति के दिमाग की एकाग्रता को प्रभावित कर दें । इससे अवसाद की स्थिति पैदा हो सकती है ।

स्वास्थ्य देखभाल स्थलियों में अवसाद और चिंताग्रस्त अनेकों रूपों में प्रकट हो सकती है । इस सम्बन्ध में सलाह तथा इन समस्याओं को नियंत्रित करने के तरीकों के बारे में अध्याय पांच व सात में बताया गया है ।

चिंताग्रस्तता की मुख्य विशेषताएं

चिंताग्रस्त व्यक्ति को निम्न में से कुछ लक्षणों का अनुभव हो सकता है :

शारीरिक

•          अपने दिल के तेजी से धड़कने का अहसास

•          दम घुटने का अहसास

•          सिर चकराना

•          कांपना, पुरे शारीर में कंपन

•          सरदर्द

•          अपने अंगों या चेहरों पर पिनें या सुइयां चुभोने का अहसास

भावनात्मक

•          यह महसूस करना कि उसके साथ कुछ भयानक होने जा रहा है ।

•          भयभीत महसूस करना

सोच संबंधी

•          अपनी समस्याओं का स्वास्थ्य के बारे में बहुत ज्यादा चिंता करना

•          यह सोचना कि वह मरने, बेकाबू या पागल होने जा रही है । ( ये सोच अक्सर गंभीर शारीरिक लक्षणों और घोर भय से जुड़े होते हैं )

•          न चाहने और नियंत्रित करने की कोशिश के बावजूद किसी परेशान करने वाले विचार के बार-बार सोचना

व्यवहार संबंधी

•          उन स्थितियों से बचना जिनमें व्यक्ति को भय महसूस होता है, जैसे बाजार या सार्वजनिक परिवहन

•          ठीक से नींद न आना

 

Article Category